(445) 3251
महाकाव्य का आकार विशाल होता है, जबकि खण्डकाव्य का आकार सीमित होता है।
(442) 4204
वीर रस का स्थायी भाव उत्साह है, जबकि करुण रस का स्थायी भाव शोक है।
(439) 2679
रेखाचित्र, गद्य के नए रूप की प्रमुख विधा है। कलात्मकता इसकी पहली शर्त है।
(437) 4571
आज से कुछ दशक पूर्व तक लघुकथा विधा स्थापित नहीं थी, पर अब यह विधा न उपेक्षित है और न ही अनजानी।
(435) 33332
आदिकाल को वीरगाथाकाल के नाम से भी जाना जाता है।
(434) 4864
भक्तिकाल हिन्दी साहित्य का स्वर्णिम काल माना जाता है।
(433) 10868
इस लेख में रीतिकाल के बारे में जानकारी दी गई है।
(430) 5086
ऐसा सार्थक शब्द समूह जो व्यवस्थित हो तथा पूरा आशय प्रकट करता हो, वाक्य कहलाता है।
(429) 10013
कहानी वह कथात्मक लघु गद्य रचना है जिसमें जीवन की किसी एक स्थिति का सरस सजीव चित्रण होता है।
(424) 5085
'संस्मरण' का शाब्दिक अर्थ है– 'सम्यक् स्मरण'।
(423) 3614
आत्मकथा हिन्दी साहित्य की वह गद्य विधा है, जिसमें लेखक अपनी स्वयं की कथा लिखता है।
(422) 2087
यदि गद्य कवियों या लेखकों की कसौटी है, तो निबन्ध गद्य की कसौटी है।
(404) 5355
कलात्मक पत्र एक साहित्यिक विधा है।
(390) 1673
प्रस्तुत पद 'केवट प्रसंग' से लिया गया है।
(385) 2344
प्रस्तुत पद्यांश 'केवट प्रसंग' नामक शीर्षक से लिया गया है।
(382) 2631
प्रस्तुत पद 'केवट प्रसंग' नामक शीर्षक से लिया गया है।
(372) 2089
प्रस्तुत गद्यांश 'खेल' नामक कहानी से लिया गया है।
(239) 4483
कबीर दास की एकमात्र प्रमाणिक रचना 'बीजक' है।
(237) 6738
प्रेमचन्द को उपन्यास-सम्राट कहा जाता है।
(235) 2794
अज्ञेय जी की सबसे बड़ी उपलब्धि सन् 1943 में संपादित 'तार सप्तक' है।
(233) 9996
जयशंकर प्रसाद ने हिन्दी साहित्य की प्रथम एकांकी 'एक घूँट' की रचना की थी।
(231) 5508
जयशंकर प्रसाद का महाकाव्य 'कामायनी' हिंदी साहित्य की अमूल्य निधि है।
(225) 7023
जब किसी कथा का रंगमंच पर अभिनेताओं द्वारा प्रदर्शन (अभिनय) किया जाता है, तो उसे नाटक कहते हैं।
(222) 2784
तुलसीदास का कहना था कि "श्री राम स्वामी है और तुलसी सेवक है।"
(215) 109633
प्रयोगवादी कविताओं ने आगे चलकर नई कविताओं का रूप ले लिया।
(209) 73686
राजनीति के क्षेत्र में जो साम्यवाद है, साहित्य के क्षेत्र में वही प्रगतिवाद है।
(206) 13879
चिंतन के क्षेत्र में जो अद्वैतवाद है, भावना के क्षेत्र में वही रहस्यवाद है।
(205) 122809
"स्थूल के प्रति सूक्ष्म के विद्रोह" को छायावाद कहा जा सकता है।
(188) 9249
द्विवेदी युग के प्रवर्तक आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी हैं। उन्होंने 'सरस्वती' पत्रिका का संपादन किया था।
(185) 25891
भारतेंदु युग को आधुनिक हिंदी साहित्य के इतिहास का प्रथम युग माना जाता है।
(175) 2602
"मीरा के पद" भज मन चरण कँवल अविनासी। जेताई दीसे धरण गगन बिच, तेताइ सब उठि जासी।
(174) 2740
"उद्धव-प्रसंग" छावते कुटीर कहूँ रम्य जमुना कै तीर गौन रौन-रेती सों कदापि करते नहीं।
(162) 2397
"महत्ता" जो पूर्व में हमको अशिक्षित या असभ्य बता रहे– वे लोग या तो अज्ञ हैं या पक्षपात जता रहे।
(161) 6619
"उद्धव-प्रसंग" आए हौ सिखावन कौं जोग मथुरा तैं तोपै ऊधौ ये बियोग के बचन बतरावौ ना।
(151) 5328
माना जाता है कि आधुनिक हिंदी कविता का आरंभ संवत् 1900 से हुआ था। इस अवधि के दौरान हिंदी कविता एवं साहित्य का चहुँमुखी विकास हुआ।
(150) 3821
"उद्धव-प्रसंग" सुनि सुनि ऊधव की अकह कहानी कान कोऊ थहरानी कोऊ थानहि थिरानी हैं।
(144) 11685
"उद्धव-प्रसंग" भेजे मनभावन के उद्धव के आवन की सुधि ब्रज-गाँवनि में पावन जबैं लगीं।
(142) 1814
"मीरा के पद"
सखी री लाज बैरन भई।
श्री लाल गोपाल के संग, काहे नाहिं गई।
(139) 1990
मीराबाई ने अपना संपूर्ण जीवन गिरधर गोपाल को समर्पित कर दिया था। उनकी रचनाएँ हिंदी साहित्य की अमूल्य निधि हैं।
(135) 3200
केशव को 'आचार्य' कहकर संबोधित किया जाता है। उनको हिंदी जगत के 'कठिन काव्य के प्रेत' के नाम से जाना जाता है।
(133) 1455
"मीरा के पद" बाल्हा मैं बैरागिण हूँगी हो। जो-जो भेष म्हाँरो साहिब रीझै, सोइ सोइ भेष धरूँगी, हो।
(131) 2319
"सूर के बालकृष्ण" मो देखत जसुमति तेरे ढोटा, अबहिं माटी खाई। यह सुनिकै रिस करि उठि धाई, बांह पकरि लै आई।
(130) 6947
"सूर के बालकृष्ण" मैया, मोहिं दाऊ बहुत खिझायो। मोसों कहत मोल को लीनो, तोहि जसुमति कब जायो।
(128) 5190
"सरस्वती-वंदना" बानी जगरानी की उदारता बखानी जाइ, ऐसी मति उदित उदार कौन की भई।
(123) 5053
"सूर के बालकृष्ण" मैया कबहिं बढ़ैगी चोटी। किती बार मोहि दूध पिअत भई, यह अजहूँ है छोटी।
(121) 2385
"सूर के बालकृष्ण" मैया मैं नाहीं दधि खायो। ख्याल परे ये सखा सबै मिलि, मेरे मुख लपटायो। देखि तुही सींके पर भाजन, ऊँचे धर लटकायो। तुही निरखि नान्हे कर अपने, मैं कैसे करि पायो।
(119) 45661
"गीत" बीती विभावरी जाग री। अम्बर-पनघट में डुबो रही- तारा-घट ऊषा-नागरी।
Recent Posts
Categories
Subcribe