जो जल बाढ़ै नाव में, घर में बाढ़ै दाम।
दोऊ हाथ उलीचिये, यही सयानो काम।
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जो पूर्व में हमको अशिक्षित या असभ्य बता रहे– मैथिलीशरण गुप्त
प्रस्तुत उत्पाद 'अमृतवाणी' नामक शीर्षक से लिया गया है। इसकी रचना कबीरदास जी ने की है।
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आए हौ सिखावन कौं जोग मथुरा तैं तोपै– जगन्नाथ दास 'रत्नाकर'
प्रस्तुत पद में अधिक धन-संपत्ति होने पर दान करने की सलाह दी गयी है।
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कबीर कुसंग न कीजिये– कबीरदास
जल- पानी, बाढ़ै- बढ़ जाय, दाम- रूपया या धन, सयानो- बुद्धिमानी का।
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हिंदी पद्य साहित्य का इतिहास– आधुनिक काल
अधिक वर्षा होने के कारण नाव में बहुत अधिक जल भर जाता है। इस परिस्थिति में बुद्धिमानी इसी में है, कि इस जल को नाव से खाली कर दिया जाए। कबीरदास जी कहते हैं कि ठीक इसी प्रकार घर में धन-संपत्ति के अधिक होने पर उसे उदारतापूर्वक दोनों हाथों से दान करने में ही बुद्धिमानी है। बुद्धिमान व्यक्ति धन का दान कर अपनी मुक्ति का मार्ग प्रशस्त कर लेते हैं।
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सुनि सुनि ऊधव की अकह कहानी कान– जगन्नाथ दास 'रत्नाकर'
प्रस्तुत पद से संबंधित महत्वपूर्ण तथ्य निम्नलिखित हैं–
1. इस पद में जीवन की सार्थकता के लिए उपदेश प्रदान किया गया है।
2. अनुभवजन्य सत्य का उद्घाटन किया गया है।
3. सरल और सुबोध भाषा का प्रयोग किया गया है।
4. तर्कपूर्ण ढंग से बात कही गई है।
5. गंभीर विषय को सहजता के साथ प्रतिपादित किया गया है।
6. यह पद अनुप्रास अलंकार का अनूठा उदाहरण है।
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कबीर संगति साधु की– कबीर दास
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धन्यवाद।
R F Temre
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Thank you.
R.F. Tembhre
(Teacher)
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