1. राजस्थान में कुई किसे कहते हैं? इसकी गहराई और व्यास तथा सामान्य कुओं की गहराई और व्यास में क्या अन्तर होता है ?
उत्तर - राजस्थान की मरुभूमि में जीवन-तत्त्व 'जल' की उपलब्धता हेतु सदैव से ही भागीरथी प्रयासों की आवश्यकता रही है। विशेषकर, मीठे-शीतल 'पेयजल' की प्राप्ति हेतु यहाँ के स्थानीय निवासियों को प्रतिदिन कठिन परिश्रम एवं पुरुषार्थ करना पड़ता है। राजस्थान के कई इलाकों, यथा-चुरू, बीकानेर, जैसलमेर और बाड़मेर इत्यादि में रेत की सतह के नीचे खड़िया पत्थर की एक काफी लम्बी-चौड़ी पट्टी चलती है। खड़िया पत्थर की यह पट्टी बरसात के पानी को जो रेत के असंख्य कणों के बीच में नमी के रूप में फँसा होता है, पाताल में जाने से रोके रखती है।
इसी अमृत तुल्य मीठे रेजाणीपानी की धरातल में प्राप्ति के लिए राजस्थान के कई रेगिस्तानी क्षेत्रों में अपेक्षाकृत कम व्यास की 'कुँई' खोदी जाती हैं। 'कुँई' अर्थात् पातालफोड़ कुएं का छोटा रूप।
कुँई की गहराई सामान्यतः कुँओं की गहराई के बराबर ही होती है किन्तु इसका व्यास कई कारणों के चलते कुँओं के व्यास से अपेक्षाकृत काफी कम रखा जाता है।
आशा है, उपरोक्त जानकारी उपयोगी एवं महत्वपूर्ण होगी।
(I hope, the above information will be useful and important.)
Thank you.
R.F. Tembhre
(Teacher)
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