माना जाता है कि आधुनिक हिंदी कविता का आरंभ संवत् 1900 से हुआ था। इस अवधि के दौरान हिंदी कविता एवं साहित्य का चहुँमुखी विकास हुआ। यह काल हिंदी के इतिहास के संदर्भ में महत्वपूर्ण है। इस अवधि में हिंदी साहित्य की कई प्रवृत्तियाँ उत्पन्न हुईं। इसके साथ ही धर्म, दर्शन, कला और साहित्य सभी के प्रति नवीन दृष्टिकोण का आविर्भाव हुआ। आधुनिक हिंदी इतिहास के विकासक्रम को निम्नलिखित भागों में वर्गीकृत किया जा सकता है–
1. भारतेंदु युग
2. द्विवेदी युग
3. छायावादी युग
4. प्रगतिवादी युग
5. प्रयोगवादी युग
6. नई कविता
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सुनि सुनि ऊधव की अकह कहानी कान– जगन्नाथ दास 'रत्नाकर'
भारतेंदु युग को आधुनिक हिंदी साहित्य का प्रवेश द्वार माना जाता है। इस युग की अवधि का सन् 1850 से 1900 तक है। इस युग के नेतृत्वकर्ता भारतेंदु हरिश्चंद्र हैं।
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कबीर संगति साधु की– कबीर दास
यह युग कविता में खड़ी बोली के प्रतिष्ठित होने का युग है। इस युग की अवधि सन् 1900 से 1920 तक है। इस युग के नेतृत्वकर्ता आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी हैं। इन्होंने 'सरस्वती' पत्रिका का संपादन किया था।
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भेजे मनभावन के उद्धव के आवन की– जगन्नाथ दास 'रत्नाकर'
छायावादी युग को डॉक्टर नरेंद्र ने परिभाषित किया है। उन्होंने "स्थूल के प्रति सूक्ष्म के विद्रोह" को छायावाद कहा है। इस युग की अवधि सन् 1920 से 1936 तक है। इस युग के प्रवर्तक जयशंकर प्रसाद हैं। उन्हें 'नाटक सम्राट' के नाम से जाना जाता है।
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सखी री लाज बैरन भई– मीराबाई
प्रगतिवाद का प्रेरणा स्रोत मार्क्स का द्वंदात्मक भौतिकवाद है। सामाजिक चेतना और भाव बोध प्रगतिवादी काव्य का लक्ष्य है। इस युग की अवधि सन् 1936 से 1943 तक है।
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मीराबाई– कवि परिचय
जीवन और जगत के प्रति अनास्था प्रयोगवाद का एक आवश्यक तत्व है। इस युग की अवधि सन् 1943 से 1950 तक है। इस युग के प्रवर्तक सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन अज्ञेय हैं। उन्होंने तार सप्तक को प्रकाशित किया था एवं उसकी भूमिका में लिखा था– "ये कवि नवीन राहों के अन्वेषी हैं।"
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आचार्य केशवदास– कवि परिचय
प्रयोगवादी कविता का ही आगे का दौर नई कविता के रूप में उभरा। इस युग की अवधि सन् 1950 से आज तक है।
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बाल्हा मैं बैरागिण हूँगी हो– मीराबाई
आशा है, उपरोक्त जानकारी आपके लिए उपयोगी होगी।
धन्यवाद।
R F Temre
rfcompetition.com
आशा है, उपरोक्त जानकारी उपयोगी एवं महत्वपूर्ण होगी।
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Thank you.
R.F. Tembhre
(Teacher)
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