'उपन्यास' शब्द का अर्थ होता है– 'सामने रखना'। उपन्यास में मानव जीवन का समस्त चित्रण किया जाता है। इसमें अनेक प्रासंगिक कथाओं और घटनाओं का वर्णन किया जाता है। उपन्यास को परिभाषित करते हुए डॉक्टर भागीरथ मिश्र ने लिखा है– "युग की गतिशील पृष्ठभूमि पर सहज शैली में स्वाभाविक जीवन की एक पूर्ण झाँकी प्रस्तुत करने वाला गद्य, उपन्यास कहलाता है।" हिंदी उपन्यास का जन्म और विकास आधुनिक काल में हुआ था। हिंदी के उपन्यासों की रचना सर्वप्रथम भारतेंदु काल में की गई थी। हिंदी उपन्यास के विकास को चार कालों में वर्गीकृत किया जा सकता है–
1. भारतेंदु काल के उपन्यास (1850 ई. से 1900 ई. तक)
2. प्रेमचंद पूर्व के उपन्यास (1900 ई. से 1915 ई. तक)
3. प्रेमचंद काल के उपन्यास (1915 ई. से 1936 ई. तक)
4. प्रेमचंदोत्तर उपन्यास (1936 ई. से अब तक)
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सच्चिदानन्द हीरानन्द वात्स्यायन 'अज्ञेय' का जीवन परिचय
हिंदी का प्रथम उपन्यास 'परीक्षा गुरु' है। इसकी रचना श्रीनिवास दास ने की थी। हिंदी के प्रथम उपन्यास से संबंधित इस तथ्य को आचार्य रामचंद्र शुक्ल ने प्रस्तुत किया था। परीक्षा गुरु को ही हिन्दी के प्रथम उपन्यास के रुप में मान्यता प्राप्त है। कुछ अन्य विद्वानों के अनुसार, 'रानी केतकी की कहानी' हिंदी का प्रथम लघु उपन्यास है। इसकी रचना इंशा अल्लाखाँ ने की थी। भारतेंदु काल में कई उपन्यासों का अनुवाद किया गया। इस काल में ऐतिहासिक और सामाजिक उपन्यासों की रचनाएँ की गई।
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एकांकी क्या है? | एकांकी का इतिहास एवं प्रमुख एकांकीकार
इस काल में मौलिक उपन्यासों की रचनाएँ की गईं। मौलिक उपन्यास लिखने वाले प्रमुख उपन्यासकार देवकीनंदन खत्री थे। उनकी प्रमुख रचनाएँ निम्नलिखित हैं–
1. चन्द्रकान्ता संतति
2. नरेन्द्र मोहनी
3. भूतनाथ
देवकीनंदन खत्री ने इन उपन्यासों में ऐय्यारी और तिलिस्मी घटनाओं का समावेश किया है। खत्री जी के अलावा प्रेमचंद पूर्व काल के अन्य महत्वपूर्ण उपन्यासकार राधाकृष्ण दास हैं। तरुण-तपस्विनी और रजिया बेगम उनके महत्वपूर्ण उपन्यास हैं। हरिऔध भी प्रमुख उपन्यासकार थे। उन्होंने ठेठ हिंदी का ठाठ, हिंदी का रहस्य, आदर्श दंपत्ति आदि उपन्यासों की रचनाएँ की। ब्रजनंदन सहाय भी महत्वपूर्ण उपन्यासकार थे। उन्होंने राधाकान्त, सौन्दर्योपासक आदि उपन्यासों की रचनाएँ की थी।
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जयशंकर प्रसाद का जीवन परिचय एवं काव्यगत विशेषताएँ
इस काल में उच्च कोटि के उपन्यासों की रचनाएँ की गई। प्रेमचंद पूर्व काल के उपन्यासों के प्रमुख उद्देश्य ऐय्यारी, तिलस्म, चमत्कार, प्रेम, धार्मिक उपदेश आदि थे। प्रेमचंद काल में इन विषयों का कोई महत्व नहीं रह गया। प्रेमचंद इस युग के अग्रदूत और प्रवर्तक माने जाते हैं। उन्हें 'उपन्यास-सम्राट' के नाम से जाना जाता है। उन्होंने उपन्यासों की रचनाओं के माध्यम से आदर्श और यथार्थ का सुंदर सम्मिश्रण किया है। प्रेमचंद के प्रमुख उपन्यास निम्नलिखित हैं–
1. सेवा-सदन
2. प्रेमाश्रय
3. रंगभूमि
4. गबन
5. कर्म-भूमि
6. गोदान
प्रेमचंद के अलावा इस युग के प्रमुख उपन्यासकार निम्नलिखित हैं–
1. प्रतापनारायण श्रीवास्तव
2. चतुरसेन शास्त्री
3. भगवती चरण वर्मा
4. जैनेन्द्र कुमार
5. बेचन शर्मा उग्र
6. पाण्डेय
7. जयशंकर प्रसाद।
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सूरदास का जीवन परिचय एवं काव्यगत विशेषताएँ
इस युग के उपन्यासकार प्रगतिवादी विचारधारा से प्रभावित थे। इस युग के उपन्यासकार मार्क्स के भौतिकवाद और फ्रायड के मनोविश्लेषण से भी प्रभावित थे। इस युग के प्रमुख उपन्यासकारों में से एक यशपाल थे। उन्होंने दादा कामरेड, दिव्या और झूठा सच जैसे उपन्यासों की रचनाएँ की थीं। राहुल सांकृत्यायन भी इस युग के महत्वपूर्ण उपन्यासकार थे। उन्होंने वोलगा से गंगा जैसे उपन्यास की रचना की थी। इस युग के उपन्यासकारों ने अपनी रचनाओं में सामाजिक विषमता और दरिद्रता का बहुत ही विस्तृत और मनोवैज्ञानिक चित्रण किया है। इस युग के प्रमुख उपन्यासकार निम्नलिखित हैं–
1. अमृतलाल नागर
2. रांगेय राघव
3. नागार्जुन
4. मालती जोशी
5. उपेंद्रनाथ अश्क।
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नाटक क्या है? | नाटक का इतिहास एवं प्रमुख नाटककार
उपन्यास के प्रमुख तत्व निम्नलिखित हैं–
1. कथावस्तु
2. कथोपकथन अथवा संवाद
3. पात्र एवं चरित्र चित्रण
4. देशकाल अथवा वातावरण
5. भाषा-शैली
6. उद्देश्य।
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गोस्वामी तुलसीदास– जीवन परिचय एवं काव्यगत विशेषताएँ
शैली की दृष्टि से उपन्यास के प्रमुख भेद निम्नलिखित हैं–
1. कथात्मक शैली
2. आत्मकथात्मक शैली
3. डायरी शैली
4. पत्र शैली।
अध्ययन की सुविधा की दृष्टि से उपन्यास के प्रमुख भेद निम्नलिखित हैं–
1. मनोवैज्ञानिक उपन्यास
2. आंचलिक उपन्यास
3. सामाजिक उपन्यास
4. समाजवादी उपन्यास
5. ऐतिहासिक उपन्यास।
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नई कविता– विशेषताएँ एवं प्रमुख कवि
हिंदी साहित्य के प्रमुख उपन्यासकार एवं उनकी रचनाएँ निम्नलिखित हैं–
1. अज्ञेय– नदी के द्वीप, शेखर एक जीवनी, अपने-अपने अजनबी।
2. जैनेंद्र कुमार– त्यागपत्र, कल्याणी, परख।
3. अमृतलाल नागर– बूँद और समुद्र।
4. फणीश्वर नाथ रेणु– मैला आँचल, जुलूस, परती परीकथा।
5. भगवती चरण वर्मा– टेढ़े मेढ़े रास्ते, चित्र लेखा।
6. प्रेमचंद– गोदान, गबन, सेवासदन, निर्मला।
7. नागार्जुन– दुःख मोचन, इमरतिया।
8. यशपाल– दादा कामरेड, झूठा सच।
9. हजारी प्रसाद द्विवेदी– बाणभट्ट की आत्मकथा।
10. वृंदावनलाल वर्मा– विराटा की पद्मिनी, गढ़ कुंडार, मृगनयनी।
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प्रयोगवाद– विशेषताएँ एवं महत्वपूर्ण कवि
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R F Temre
rfcompetition.com
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R.F. Tembhre
(Teacher)
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