प्रभुरुख पाइ कै, बोलाइ बालक घरनिहि,
बन्दि कै चरन चहूँ दिसि बैठे घेरि-घेरि।
छोटो-सो कठौता भरि आनि पानी गंगाजूको,
धोइ पाय पीअत पुनीत बारि फेरि-फेरि।।
तुलसी सराहैं ताको भागु, सानुराग सुर
बरषैं सुमन, जय-जय कहैं टेरि-टेरि।
बिबिध सनेह-सानी बानी असयानी सुनि,
हँसैं राघौ जानकी-लखन तन हेरि-हेरि।।
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रावरे दोषु न पायन को – गोस्वामी तुलसीदास
घरनिहि- गृहिणी, बन्दि- वन्दना करके, कठौता- लकड़ी का पात्र या बर्तन, आनि- लाकर, पुनीत- पवित्र, बारि- जल, भागु- सौभाग्य, सानुराग- प्रेम सहित, सुमन- फूल, सनेह-सानी- प्रेम युक्त, बानी- वाणी या वचन, असयानी- सहज या चालकी रहित, राघौ- राघव या राम, हेरि- देखकर।
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एहि घाटतें थोरिक दूरि अहै– गोस्वामी तुलसीदास
प्रस्तुत पद्यांश 'केवट प्रसंग' नामक शीर्षक से लिया गया है। इसकी रचना 'गोस्वामी तुलसीदास' ने की है।
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नाम अजामिल-से खल कोटि – गोस्वामी तुलसीदास
प्रस्तुत पद में केवट द्वारा भगवान श्री राम के चरण कमलों को धोने का वर्णन किया गया है।
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यह तन काँचा कुम्भ है – कबीर दास
भगवान श्री राम से अनुमति प्राप्त कर केवट ने अपने बच्चों और गृहिणी को बुला लिया। उन सभी ने प्रभु श्री राम की पूर्ण श्रद्धा के साथ वन्दना की। इसके बाद वे प्रभु श्री राम को चारों ओर से घेरकर बैठ गए। केवट ने लकड़ी के एक पात्र में गंगाजल भर लाया। इस जल से केवट और उसका परिवार श्री राम के चरणों को धो-धोकर पवित्र जल को पुनः-पुनः पी रहे हैं। तुलसीदास जी कहते हैं कि केवट के इस सौभाग्य की सप्रेम सराहना देवता भी कर रहे हैं। वे पुष्पों की वर्षा कर रहे हैं और जय-जय कार कर रहे हैं। केवट की विभिन्न तरह से प्रेम से युक्त और चालाकी रहित बातों को सुनकर श्री राम, देवी सीता और लक्ष्मण जी एक-दूसरे की ओर देखकर मुस्कुरा रहे हैं।
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यह संसार क्षणभंगुर है – जैनेन्द्र कुमार
प्रस्तुत पद से सम्बन्धित महत्वपूर्ण तथ्य निम्नलिखित हैं–
1. केवट और उसके परिवार को श्री राम के पवित्र चरण कमलों को धोने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है।
2. भावानुरूप सरल और सुबोध भाषा का प्रयोग किया गया है।
3. अनुप्रास और पुनरुक्ति प्रकाश अलंकारों का प्रयोग किया गया है।
4. पद-मैत्री का मनोहारी चित्रण किया गया है।
5. पौराणिक गाथाओं से सम्बद्ध पद है।
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माटी कहै कुम्हार से – कबीर दास
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5. मैथिलीशरण गुप्त– कवि परिचय
आशा है, उपरोक्त जानकारी उपयोगी एवं महत्वपूर्ण होगी।
(I hope, the above information will be useful and important.)
Thank you.
R.F. Tembhre
(Teacher)
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