रस के चार अवयव (अंग) हैं-
(i) स्थायीभाव
(ii) संचारी भाव
(iii) विभाव और
(iv) अनुभाव।
(i) स्थायीभाव – जो भाव मानव हृदय में स्थायी रूप से रहते हैं, उन्हें स्थायी भाव कहते हैं।
प्रत्येक रस का एक स्थायी भाव रहता है।
जैसे- श्रृंगार का रति, वीर का उत्साह
(ii) संचारी भाव– ये चित्त में उत्पन्न होने वाले अस्थिर मनोविकार हैं। ये स्थायी भावों को पुष्ट करने में सहायक होते है। इनकी स्थिति पानी के बुलबुले के समान उत्पन्न होने और समाप्त होते रहने की होती है। संचारी भावों की संख्या 33 है।
कुछ प्रमुख संचारी भाव- दैन्य, मद, जड़ता विषाद, निद्रा, मोह, उग्रता, शंका, चपलता आदि हैं।
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(iii) विभाव– स्थायी भावों को जाग्रत करने वाले कारक विभाव हैं।
इसके दो भेद हैं–
(अ) आलम्बन और
(ब) उद्दीपन हैं।
(अ) आलम्बन– स्थायी भाव जिन व्यक्तियों वस्तुओं आदि का आलम्बन लेकर अपने को प्रगट करते हैं, उन्हें आलम्बन कहते हैं।
आलम्बन के भी दो भेद हैं-
क. आश्रय
ख. विषय
क. आश्रय– जिस व्यक्ति के मन में भाव जागृत हों।
ख. विषय – जिस वस्तु या व्यक्ति के प्रति भाव उत्पन्न हो।
(ब) उद्दीपन – भाव को उद्दीप्त करने वाली वस्तुएँ या चेष्टाएँ उद्दीपन विभाव कहलाती हैं।
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(iv) अनुभाव – आश्रय की चेष्टाएँ अनुभाव कहलाती हैं।
अनुभाव चार प्रकार के होते हैं-
अ. कायिक
आ. मानसिक
इ. आहार्य
ई. सात्विक।
रस के सभी अवयवों के उदाहरण–
जगदंबा ने बाहर आकर कहा–
नहा लो बेटा
खा पी लो थक कर आए घर जाने के दिन में लौटे हो
दुबला तन ले मुरझाया मुख
खटते औरों के हित नित
कब समझोगे अपना सुख दुख
(लोकायतन पंत)
उक्त पंक्तियों में–
रस का प्रकार– वात्सल्य
स्थायी भाव – वत्सल
संचारी भाव – हर्ष, चिंता
विभाव – आश्रय- जगदंबा
विषय – बेटा
उद्दीपन – दुबला तन, मुख
अनुभाव – स्नेहपूर्ण कथन
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आशा है, उपरोक्त जानकारी परीक्षार्थियों / विद्यार्थियों के लिए ज्ञानवर्धक एवं परीक्षापयोगी होगी।
धन्यवाद।
R F Temre
rfcompetition.com
आशा है, उपरोक्त जानकारी उपयोगी एवं महत्वपूर्ण होगी।
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Thank you.
R.F. Tembhre
(Teacher)
EduFavour.Com
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