आपने देखा होगा ठंडी के दिनों में पहले से किसी पात्र में बाहर रखें हुये पानी की तुलना में कुआँ, बोरवेल या बावड़ी से तत्काल निकाला गया पानी गर्म लगता है। इसके विपरीत गर्मी के दिवसों में पहले से किसी पात्र में बाहर रखें पानी की तुलना में इन्हीं कुओं, बोरवेल या बावड़ियों से तत्काल निकाला गया पानी ठंडा लगता है। आखिर ऐसा क्यों होता है? क्या प्रकृति सुरक्षा की दृष्टि से पानी की ऊष्मा में ऐसा बदलाव करते रहती है या कोई और कारण है?
इसका कारण ऐसा कुछ नहीं है। आइये नीचे बारी-बारी से ठंडी और गर्मी में मौसम की दशाओं के आधार पर बताने का प्रयास करते हैं कि कुआँ, बोरवेल या बावड़ी का पानी ठंडी में गरम और गर्मी में ठंडा क्यों लगता है?
कुआँ, बोरवेल या बावड़ी का पानी भूमिगत जल (groundwater) की श्रेणी में आता है। या हम कह सकते हैं कि यह भूमिगत जल के संपर्क में होता है और इन जल स्रोतों के पानी का तापमान सदैव एक समान बना रहता है। इस जल का तापक्रम लगभग 22℃ से 25℃ के बीच होता है। जबकि बाहर का मौसम का तापक्रम ऋतु परिवर्तन के कारण बदलते रहता है। यहाँ यह भी ध्यान रखना आवश्यक है कि भूजल का तापमान अन्य कारकों से भी प्रभावित हो सकता है, जैसे कुएँ की गहराई, पुनर्भरण की दर (rate of recharge) और गर्म झरनों या भू-तापीय क्षेत्रों (geothermal areas) का स्थान। इस तरह स्थान और भूवैज्ञानिक स्थितियों के आधार पर भूजल और सतह के बीच तापमान का अंतर भी भिन्न हो सकता है।
शीतकाल में पानी की दशायें― आपने देखा होगा, ठंडी के दिनों में शीतलहर, कोहरे या अन्यान्य कारणों से तापमान बहुत अधिक गिर जाता है इसकी वजह से बाहर का वातावरण बहुत अधिक ठंडा हो जाता है। वातावरण के तापमान में इसी गिरावट के कारण हमें ठंडी भी लगती है। ठंडी के मौसम में बाहर का तापमान लगभग 6 से 8 डिग्री सेल्सियस या इससे भी नीचे गिर जाता है जबकि कुआँ, बोरवेल या बावड़ी के पानी का तापमान स्थिर अर्थात 22℃ से 25℃ के बीच ही बना रहता है। शीतकाल में बाहर के मौसम में 6 से 8 डिग्री सेल्सियस के तापमान पर हर वस्तु ठंडी हो जाती है और बाहर किसी पात्र में रखा हुआ पानी भी ठंडा हो जाता है अर्थात उसका तापक्रम गिर जाता है। ऐसी स्थिति में जब हम बाहर रखे पात्र के पानी और कुएँ, बोरवेल या बावड़ी के पानी में तुलना करते हैं और दोनों को छूकर देखते हैं तो हमें कुएँ, बोरवेल या बावड़ी का पानी गर्म लगता है।
ग्रीष्मकाल में पानी की दशायें― अब हम ग्रीष्म काल की बात करें तो सूर्य की तेज गर्मी के कारण गर्म हवाओं जैसे लू आदि के चलने के कारण या फिर अन्यान्य कारणों से तापमान में बहुत अधिक वृद्धि हो जाती है और बाहर का वातावरण बहुत अधिक गर्म हो जाता है। वातावरण में इस तापमान में इसी वृद्धि के कारण हमें बहुत तीव्र गर्मी लगती है। गर्मी के मौसम में बाहर का तापमान लगभग 40 से 45 डिग्री सेल्सियस या इससे भी उपर चला जाता है जबकि कुआँ, बोरवेल या बावड़ी के पानी का तापमान स्थिर अर्थात 22℃ से 25℃ के बीच ही बना रहता है। ग्रीष्मकाल में बाहर के मौसम में 40 से 45 डिग्री सेल्सियस के तापमान पर हर वस्तु गर्म हो जाती है और इसी कारण बाहर किसी पात्र में रखा हुआ पानी भी गर्म हो जाता है अर्थात उसके तापक्रम में वृद्धि हो जाती है। ऐसी स्थिति में जब हम बाहर रखे पात्र के पानी और कुएँ, बोरवेल या बावड़ी के पानी में तुलना करते हैं और दोनों को छूकर देखते हैं तो हमें कुएँ, बोरवेल या बावड़ी का पानी ठंडा लगता है।
हमारे मस्तिष्क के अनुभव― हमारा मस्तिष्क पूरे शरीर का केंद्र बिंदु है और हमारे समस्त शरीर का रखरखाव व नियंत्रण इसी मस्तिष्क के ही दिशा -निर्देशों पर चलता है। किसी भी प्रकार के आनंद की अनुभूति या आघात प्राप्ति के संकेतों की शीघ्रातिशीघ्र सूचना मस्तिष्क तक पहुँचाने का कार्य हमारी त्वचा में फैला तंत्रिका तंत्र पूरा करता है। शरीर में कहीं भी जलने, बर्फ़ लगाने या चोट आदि लगने की स्थिति में सूचना तुरंत मस्तिष्क को त्वचा के द्वारा ही पहुँचाया जाता है। यह कार्य बिजली की गति से भी तेज होता है। अतः स्पष्ट है त्वचा के निर्देशों एवं मस्तिष्क द्वारा सम्बंधित अंगों को दिये गये आदेशों के आधार पर ही हम ठंडी में ठंड और ग्रीष्म में गर्म का अनुभव कर पाते हैं।
पानी किसी वस्तु को ठंडा क्यों करता है?― हम जानते हैं कि पानी ऊष्मा (ताप) का सुचालक है, इस कारण पानी ऊष्मा को जल्दी ही अपने दूसरे कणों में प्रसारित कर (फैला) देता है जिससे इन स्रोतों का तापमान जल्दी नहीं बढ़ता है। दूसरी वजह यह है कि पानी में ऊष्मा को सोखने की उच्च क्षमता होती है, जिसे 'विशिष्ट ऊष्मा' (specific heat capacity) कहा जाता है। इसका अर्थ है कि पानी को गर्म करने के लिए अपेक्षाकृत अधिक ऊर्जा की आवश्यकता होती है। इसलिए यह धीरे-धीरे गर्म होता है और लंबे समय तक ठंडा बना रहता है। इसी गुण के कारण पानी कई बार वस्तुओं को ठंडा रखने या शरीर की गर्मी कम करने के लिए उपयोग में लाया जाता है। यही कारण है कि गर्मी में बोरवेल या कुएँ का पानी ठंडा महसूस होता है।
#शिक्षा शिक्षा टिप्स आशा है, उपरोक्त जानकारी उपयोगी एवं महत्वपूर्ण होगी।
(I hope, the above information will be useful and important.)
Thank you.
R.F. Tembhre
(Teacher)
EduFavour.Com
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