हमारे सौरमण्डल में मंगल और बृहस्पति ग्रह के मध्य अनगिनत छोटे-छोटे ग्रह उपस्थित हैं। इन्हें क्षुद्र ग्रह कहा जाता है। ये सौरमण्डल के अन्य ग्रहों की भाँति सूर्य की परिक्रमा करते हैं। ये ग्रह दीर्घवृत्तीय कक्षा में पश्चिम से पूर्व (घड़ी की सुई के विपरीत) दिशा में परिक्रमा करते हैं। इन ग्रहों के आकार भिन्न-भिन्न होते हैं। ये एक पट्टी के रूप में मंगल और बृहस्पति के मध्य अवस्थित हैं। ये क्षुद्र ग्रह करोड़ों किलोमीटर क्षेत्र में पाये जाते हैं।
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सेरेस, मंगल और बृहस्पति ग्रह के मध्य अवस्थित सभी क्षुद्र ग्रहों में सबसे बड़ा एवं सर्वाधिक चमकीला है। सेरेस के अतिरिक्त अन्य महत्वपूर्ण क्षुद्र ग्रह निम्नलिखित हैं–
1. 4 वेस्टा
2. 52 यूरोपा
3. 243 इडा
4. 1862 अपोलो
5. 511 डेविडा।
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सन् 2006 में अंतर्राष्ट्रीय खगोलीय संघ द्वारा 'प्लूटो' को ग्रहों की श्रेणी से बाहर कर दिया गया तथा इसे क्षुद्र ग्रहों की श्रेणी में रखा गया। साथ ही प्लूटो एवं उसके जैसे अन्य क्षुद्र ग्रहों के लिए एक नई श्रेणी बनाई गई। इस श्रेणी को 'प्लूटॉइड' कहा जाता है।
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कई बार मंगल एवं बृहस्पति के मध्य अवस्थित क्षुद्र ग्रह, बृहस्पति एवं मंगल ग्रहों के गुरूत्वाकर्षण के कारण अपने मार्ग से विचलित हो जाते हैं। फलस्वरूप ये सौरमण्डल के अन्य ग्रहों के वायुमण्डल में पहुँच जाते हैं। जब ये पिण्ड पृथ्वी के वायुमण्डल में प्रवेश करते हैं, तो गैसों एवं धूल के कणों से होने वाले घर्षण के कारण जलने लगते हैं। फलस्वरुप ये चमकीले दिखाई देते हैं। इन्हें 'उल्का' या 'टूटता हुआ तारा' कहा जाता है। इन पिण्डों में से कुछ पृथ्वी पर पहुँचने से पूर्व ही जलकर राख हो जाते हैं। इन पिण्डों को 'उल्काश्म' कहा जाता है। कुछ उल्कायें चट्टानों के रूप में पृथ्वी पर जाकर गिरती हैं। इन्हें 'उल्का पिण्ड' कहा जाता है। मंगल और बृहस्पति के बीच क्षुद्र ग्रहों के साथ अरबों की संख्या में उल्का पाये जाते हैं। इसके अतिरिक्त वरुण ग्रह की कक्षा के बाहर अवस्थित 'क्यूपर बेल्ट' भी उल्काओं का सबसे बड़ा एवं महत्वपूर्ण स्रोत है।
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आशा है, उपरोक्त जानकारी उपयोगी एवं महत्वपूर्ण होगी।
(I hope, the above information will be useful and important.)
Thank you.
R.F. Tembhre
(Teacher)
EduFavour.Com
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