s

संधि - स्वर संधि के प्रकार - दीर्घ, गुण, वृद्धि, यण और अयादि | Sandhi - Swar Sandhi ke prakar- Dirgh, Gun, Vridhi, Yan,Ayadi

By: RF competition   Copy        Share
 (47)         23806

संधि का अर्थ

सामान्यतः संधि का अर्थ जोड़ या जुड़ाव से होता है। हिन्दी व्याकरण की दृष्टि से देखें तो– "जब दो ध्वनियाँ आपस में मिल जाती है तब वहाँ संधि होती है।"
उदाहरण- (1) पुस्तकालय = पुस्तक+आलय
यहाँ पर अ+आ=आ हो गया है।
(2) पराधीनता = पर+आधीनता
यहां पर भी अ+आ=आ हो गया है।
(3) सर्व+उत्तम = सर्वोत्तम
यहाँ पर अ+उ = ओ हो गया है।

नीचे दिए गए वाक्यों में उक्त संधियुक्त शब्दों का प्रयोग (रेखांकित शब्द) देख सकते हैं।
(क) पुस्तकालय को इसकी सूचना दे दी।
(ख) लालाजी को महान राष्ट्र को पराधीनता से बचाने का प्रयास किया। आज सर्वोत्तम उपहार तुमने हमें दिया।
– ये रेखांकित शब्द दो शब्दों के मेल से बने हैं।

इन प्रकरणों 👇 के बारे में भी जानें।
1. समास के प्रकार, समास और संधि में अन्तर
2. वाक्य – अर्थ की दृष्टि से वाक्य के प्रकार

संधि के प्रकार–

संधि के तीन प्रकार हैं–
1. स्वर संधि
2. व्यंजन संधि
3. विसर्ग संधि
1. स्वर सन्धि - दो निकटतम स्वरों के मेल से जो परिवर्तन होता है उसे स्वर संधि कहते हैं इसके पाँच भेद है।
(i) दीर्घ स्वर संधि
(ii) गुण स्वर संधि
(iii) वृद्धि स्वर संधि
(iv) यण स्वर संधि
(v) अयादि स्वर संधि

(i) दीर्घ स्वर सन्धि– दो सजातीय या समान स्वरों के मेल से स्वरों में जो परिवर्तन होता है, उसे दीर्घ स्वर सन्धि कहते हैं।
हृस्व या दीर्घ अ, इ, उ, के आगे हृस्व या दीर्घ स्वर आ, ई, ऊ, आए तो दोनों मिलकर क्रमश: आ, ई, ऊ बन जाते हैं।
यथा – अ+अ=आ – मत+अनुसार = मतानुसार
अ+आ=आ – परम+आनंद = परमानंद
आ+आ=आ – महा+आत्मा = महात्मा
इ+इ=ई – रवि+इन्द्र = रवीन्द्र

हिन्दी व्याकरण के इन 👇 प्रकरणों को भी पढ़िए।।
1. 'ज' का अर्थ, द्विज का अर्थ
2. भिज्ञ और अभिज्ञ में अन्तर
3. किन्तु और परन्तु में अन्तर
4. आरंभ और प्रारंभ में अन्तर
5. सन्सार, सन्मेलन जैसे शब्द शुद्ध नहीं हैं क्यों
6. उपमेय, उपमान, साधारण धर्म, वाचक शब्द क्या है.
7. 'र' के विभिन्न रूप- रकार, ऋकार, रेफ
8. सर्वनाम और उसके प्रकार

(ii) गुण स्वर संधि – यदि 'अ' या 'आ' के बाद 'इ' या 'ई' या 'उ' या 'ऊ' अथवा 'ऋ' आए तो दोनों मिलकर क्रमश: 'ए', 'ओ', 'अर' हो जाता है इसे गुण स्वर संधि कहते है।
यथा - (i) देव+इन्द्र=देवेन्द्र
यहाँ पर अ+इ = ए हो गया है।
(ii) महा+ऋषि = महर्षि
यहाँ पर आ+ॠ = अर् हो गया है।
(iii) वन+औषधि = वनौषधि।
यहाँ पर अ+औ=औ हो गया है।
नियम – 1. यदि 'अ' या 'आ' के आगे 'इ' या 'ई' आए तो दोनों के मिलने पर 'ए' बनता है।
2. यदि 'अ' या 'आ' के आगे 'उ' या 'ऊ' आए तो दोनों के मिलने पर 'ओ' बनता है।
3. यदि 'अ' या 'आ' के आगे 'ऋ' आए तो दोनों के मिलने पर 'अर्' बनता है।
उपरोक्त नियमों के अन्तर्गत आने वाले शब्दों को हम गुण स्वर सन्धि कहते हैं, अतः कह सकते हैं कि - यदि 'अ' या 'आ' के बाद 'इ' या 'ई' या 'उ' या 'ऊ' अथवा 'ऋ' आए तो दोनों मिलकर क्रमशः 'ए', 'ओ', 'अर' हो जाता है इसे गुण स्वर संधि कहते हैं।

(iii) वृद्धि संधि– यदि 'अ', 'आ' के बाद 'ए' या 'ऐ' आए तो मिलकर 'ऐ' तथा यदि 'ओ' या 'औ' आए तो मिलकर 'औ' जाते हैं। इस क्रिया को वृद्धि स्वर संधि कहते हैं।
उदाहरण-
एक + एक = एकैक – (अ + ए = ऐ)
सदा + एव = सदैव – (आ + ए = ऐ)
मत + एक्य = मतैक्य – (अ + ऐ = ऐ)
महा + ऐश्वर्य = महैश्वर्य – (आ + ऐ = ऐ)
दंत + ओष्ठ = दंतौष्ठ – (अ + ओ = औ)
महा + ओज = महौज – (आ + ओ = औ)
परम + औषधि = परमौषधि – (अ + औ = औ)
महा + औषधि = महौषधि – (आ + औ =औ)
नियम – 1. यदि अ,आ के बाद ए, ऐ आए तो दोनों मिलकर 'ऐ' हो जाते हैं।
2. यदि अ, आ के बाद ओ औ आए तो दोनों मिलकर 'औ' हो जाते हैं।

हिन्दी व्याकरण के इन 👇 प्रकरणों को भी पढ़िए।।
1. शब्द क्या है- तत्सम एवं तद्भव शब्द
2. देशज, विदेशी एवं संकर शब्द
3. रूढ़, योगरूढ़ एवं यौगिकशब्द
4. लाक्षणिक एवं व्यंग्यार्थक शब्द
5. एकार्थक शब्द किसे कहते हैं ? इनकी सूची
6. अनेकार्थी शब्द क्या होते हैं उनकी सूची
7. अनेक शब्दों के लिए एक शब्द (समग्र शब्द) क्या है उदाहरण
8. पर्यायवाची शब्द सूक्ष्म अन्तर एवं सूची
9. शब्द– तत्सम, तद्भव, देशज, विदेशी, रुढ़, यौगिक, योगरूढ़, अनेकार्थी, शब्द समूह के लिए एक शब्द
10. हिन्दी शब्द- पूर्ण पुनरुक्त शब्द, अपूर्ण पुनरुक्त शब्द, प्रतिध्वन्यात्मक शब्द, भिन्नार्थक शब्द

(iv) यण संधि – हस्व अथवा दीर्घ 'इ', 'उ', 'ऋ' के बाद यदि कोई भिन्न स्वर आता है तो 'इ', 'ई' के बदले 'य' तथा 'उ', 'ऊ' के बदले 'व’ एवं 'ऋ' के बदले 'र' हो जाता है तो उसे यण स्वर संधि कहते हैं।
उदाहरण–
अति + अधिक = अत्यधिक (इ + अ = य)
इति + आदि = इत्यादि (इ + आ = या)
नदी + अर्पण = नद्यर्पण (ई + अ = य)
सखी + आगमन = संख्यागमन (ई + आ = या)
प्रति + उत्तर = प्रत्युत्तर (इ + उ = यु)
नि + ऊन = न्यून (इ + ऊ = यू )
प्रति + एक = प्रत्येक (इ + ए = ये)
देवी + ऐश्वर्य = देव्यैश्वर्य (ई + ऐ + यै)
सु + अच्छ = स्वच्छ (उ +अ = व)
सु + आगत = स्वागत (उ + आ = वा)
अनु + इति = अन्विति (उ + इ = वि)
अनु + एपण = अन्वेषण (उ + ए = वे)
पितृ + अनुमति = पित्रनुमति (ऋ + अ = र )
मातृ + आज्ञा = मात्राज्ञा (ऋ + आ = रा)
मातृ + इच्छा = मात्रिच्छा (ऋ + इ = रि)
नियम – 1. यदि 'इ', 'ई' के बाद कोई भिन्न स्वर आए तो 'इ', 'ई' का 'य' हो जाता है।
2. यदि 'उ', 'ऊ' के बाद कोई भिन्न स्वर आए तो 'उ', 'ऊ' का 'व' हो जाता है।
3. यदि 'ऋ' के बाद कोई भिन्न स्वर आए तो 'ऋ' का 'र' हो जाता है।

(v) अयादि संधि– 'ए', 'ऐ', 'ओ', 'औ' के बाद जब कोई भिन्न स्वर आता है तब 'ए' के स्थान पर 'अय्', 'ओ' के स्थान पर 'अव्', 'ऐ' के स्थान पर 'आय्' एवं 'औ' के स्थान पर 'आव्' हो जाता है। इसे ही अयादि स्वर संधि कहते हैं।
उदाहरण–
ने + अन = नयन (ए + अ = अय्)
गे + अक = गायक (ऐ + अ = आय्)
पो + अन = पवन (ओ + अ = अव्)
पौ + अन = पावन (औ + अ = आव्)
नौ + इक = नाविक (औ + इ = आवि)
भौ + उक = भावुक (औ + उ = आवु)
नियम- 1 यदि 'ए', 'ऐ', 'ओ', 'औ', से आगे कोई इनसे भिन्न स्वर आता है तो 'ए', का 'अय्', 'ऐ' का 'आय्', 'ओ' का 'अव्' तथा 'औ' का 'आव् 'हो जाता है।

हिन्दी व्याकरण के इन 👇 प्रकरणों को भी पढ़िए।।
1. लिपियों की जानकारी
2. शब्द क्या है
3. लोकोक्तियाँ और मुहावरे
4. रस के प्रकार और इसके अंग
5. छंद के प्रकार– मात्रिक छंद, वर्णिक छंद
6. विराम चिह्न और उनके उपयोग
7. अलंकार और इसके प्रकार

आशा है, उपरोक्त जानकारी परीक्षार्थियों / विद्यार्थियों के लिए ज्ञानवर्धक एवं परीक्षापयोगी होगी।
धन्यवाद।
R F Temre
rfcompetition.com

आशा है, उपरोक्त जानकारी उपयोगी एवं महत्वपूर्ण होगी।
(I hope, the above information will be useful and important.)
Thank you.
R.F. Tembhre
(Teacher)
EduFavour.Com

https://youtu.be/YOvg7Fl7bwA
Watch video for related information
(संबंधित जानकारी के लिए नीचे दिये गए विडियो को देखें।)
Comments

POST YOUR COMMENT

Categories

Subcribe

Note― अपनी ईमेल id टाइप कर ही सब्सक्राइब करें। बिना ईमेल id टाइप किये सब्सक्राइब नहीं होगा।