समाज की सच्ची उन्नति का मापक महिलाओं की स्थिति होती है। जिस समाज में महिलाओं को समान अधिकार, सम्मान और सुरक्षा मिलती है, वह समाज न केवल प्रगतिशील बनता है, बल्कि उसमें स्थिरता और समृद्धि भी विद्यमान रहती है। भारतीय समाज में, हालांकि प्राचीन काल से नारी को देवी के रूप में पूज्य माना गया है, लेकिन व्यावहारिक स्तर पर उसे अक्सर उपेक्षित, शोषित और वंचित स्थिति में देखा गया। सामाजिक, धार्मिक, आर्थिक और राजनीतिक क्षेत्रों में महिलाओं के अधिकारों का बार-बार उल्लंघन हुआ। इस ऐतिहासिक अन्याय को सुधारने और महिलाओं को उनके अधिकारों की वास्तविक रक्षा प्रदान करने के उद्देश्य से भारत सरकार ने महत्वपूर्ण कदम उठाए।
भारत सरकार ने महिलाओं की दशा सुधारने और उनके अधिकारों की रक्षा हेतु अनेक प्रयास किए। इसी क्रम में संसद द्वारा वर्ष 1990 में राष्ट्रीय महिला आयोग अधिनियम पारित किया गया। इस अधिनियम के अंतर्गत वर्ष 1992 में राष्ट्रीय महिला आयोग (National Commission for Women - NCW) की स्थापना हुई। यह आयोग भारत में महिलाओं के अधिकारों की रक्षा तथा उनके सामाजिक, आर्थिक और राजनैतिक सशक्तिकरण को सुनिश्चित करने हेतु सर्वोच्च वैधानिक निकाय है। इसका कार्यक्षेत्र संपूर्ण भारतवर्ष तक विस्तारित है।
राष्ट्रीय महिला आयोग में एक अध्यक्ष और पाँच सदस्य होते हैं। अध्यक्ष वह व्यक्ति होता है, जो महिलाओं के कल्याण और उत्थान के प्रति गहन समझ और प्रतिबद्धता रखता हो। शेष सदस्य विभिन्न क्षेत्रों से चुने जाते हैं, जैसे:
इसके अतिरिक्त, एक सचिव भी नियुक्त किया जाता है, जो आयोग के प्रशासनिक कार्यों का संचालन करता है।
राष्ट्रीय महिला आयोग के अंतर्गत एक विशेष सलाहकारी सेल की स्थापना की गई है, जिसका उद्देश्य पीड़ित महिलाओं को पारिवारिक सलाह, कानूनी परामर्श एवं मार्गदर्शन प्रदान करना है। इस सेल के माध्यम से अनेक महिलाओं को शीघ्र न्याय एवं संरक्षण प्राप्त हुआ है, जिससे आयोग की प्रभावशीलता में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।
टीप- राष्ट्रीय महिला आयोग को दीवानी प्रक्रिया संहिता (Civil Procedure Code) 1978 के अंतर्गत दीवानी न्यायालय का दर्जा प्राप्त है। इसके अंतर्गत आयोग को निम्न अधिकार प्राप्त हैं:
इन अधिकारों के माध्यम से आयोग प्रभावी ढंग से महिला अधिकारों की रक्षा करता है।
राष्ट्रीय महिला आयोग ने अनेक महत्वपूर्ण कार्य किए हैं, जैसे:
हालांकि आयोग ने अनेक उपलब्धियाँ हासिल की हैं, फिर भी कई चुनौतियाँ हैं:
इन चुनौतियों के बावजूद आयोग लगातार महिला सशक्तिकरण हेतु कार्यरत है।
राष्ट्रीय महिला आयोग भारत में महिलाओं की गरिमा, स्वतंत्रता और सुरक्षा के संरक्षण का एक सशक्त स्तम्भ है। इसके प्रयासों से न केवल महिलाओं में अपने अधिकारों के प्रति जागरूकता बढ़ी है, बल्कि समाज में महिलाओं के प्रति दृष्टिकोण में भी सकारात्मक परिवर्तन आया है। भविष्य में भी इस आयोग से अपेक्षा की जाती है कि वह महिलाओं के सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक जीवन को और अधिक सशक्त बनाने में अग्रणी भूमिका निभाता रहेगा।
आशा है, उपरोक्त जानकारी उपयोगी एवं महत्वपूर्ण होगी।
(I hope, the above information will be useful and important.)
Thank you.
R.F. Tembhre
(Teacher)
EduFavour.Com
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