बृहस्पति, सौरमण्डल का सबसे बड़ा ग्रह, आकार में इतना विशाल है कि अगर इसे पूरी तरह से पृथ्वी से भरा जाए तो लगभग 1300 पृथ्वी उसमें समा जाएं। इसकी सौरमण्डल में स्थिति सूर्य से पाँचवे स्थान पर है। बृहस्पति का व्यास 142,984 किलोमीटर है, जो पृथ्वी के व्यास से लगभग 11 गुना अधिक है। इस ग्रह की दूरी सूर्य से औसतन 778 मिलियन किलोमीटर है।
बृहस्पति की परिक्रमा का समय लगभग 12 पृथ्वी वर्षों के बराबर है, जबकि यह अपने अक्ष पर एक चक्कर लगभग 10 घंटे में पूरा कर लेता है। इसका पलायन वेग 59.6 किलोमीटर प्रति सेकंड है, जो इसे सौरमण्डल के सभी ग्रहों में सबसे तेज पलायन वेग वाला बनाता है। बृहस्पति का वातावरण मुख्य रूप से हाइड्रोजन और हीलियम गैसों से बना हुआ है, जिसमें मिथेन, अमोनिया, और पानी की वाष्प भी पाई जाती है। इसके अलावा, बृहस्पति के वातावरण में कुछ खास बादल मंडल होते हैं, जो इसकी अद्वितीय विशेषताओं को और भी बढ़ाते हैं।
बृहस्पति ग्रह की खोज 1610 में गैलीलियो गैलीली द्वारा की गई थी, जब उन्होंने अपने टेलीस्कोप से इस ग्रह के चार प्रमुख उपग्रहों का अवलोकन किया था। इन उपग्रहों को 'गैलीलियन उपग्रह' के नाम से जाना जाता है। बृहस्पति के अध्ययन के लिए नासा द्वारा सन् 2011 में 'जूनो' नामक एक अंतरिक्ष यान भेजा गया था, जिसका उद्देश्य बृहस्पति के गहरे अध्ययन से ग्रह की संरचना और उसकी बनावट को समझना था।
बृहस्पति ग्रह को 'तारा सदृश' भी कहा जाता है, क्योंकि इसका आकार और चमक तारे जैसे होते हैं। बृहस्पति का आकार इतना विशाल है कि इसे 'मास्टर ऑफ़ गॉड्स' भी कहा जाता है, जो इसके अद्भुत प्रभाव और महत्व को दर्शाता है। इसके अलावा, इसे कभी-कभी 'लघु सौर तन्त्र' भी कहा जाता है, क्योंकि इसके पास स्वयं की विद्युत शक्ति और विशाल चुंबकीय क्षेत्र है, जो सौरमण्डल में अन्य ग्रहों से इसे अलग करता है। बृहस्पति ग्रह के पास एक विशाल और मजबूत चुंबकीय क्षेत्र है, जो इसे सौरमण्डल के सबसे शक्तिशाली ग्रहों में से एक बनाता है।
इस ग्रह के वातावरण में सबसे प्रमुख गैस हाइड्रोजन और हीलियम हैं, इसके अलावा मीथेन, अमोनिया, और पानी की वाष्प भी मौजूद हैं। बृहस्पति के वायुमंडल में दिखने वाले बादल रंगों की अद्भुत श्रेणियों में होते हैं, जो ग्रह के आकर्षण को बढ़ाते हैं।
बृहस्पति के पास 79 उपग्रह हैं, जिनमें से कुछ प्रमुख उपग्रह हैं: गैनीमीड, कैलिस्टो, लो (आयो), और यूरोपा। इनमें से गैनीमीड सौरमण्डल का सबसे बड़ा उपग्रह है, जो आकार में पृथ्वी से भी बड़ा है। गैनीमीड का व्यास 5,268 किलोमीटर है, जो इसे आकार में सबसे विशाल बनाता है। इसके अलावा, बृहस्पति का उपग्रह लो (आयो) सौरमण्डल का सबसे सक्रिय ज्वालामुखी वाला उपग्रह है। यहां के ज्वालामुखी इतने सक्रिय हैं कि इसकी सतह पर अक्सर लावा प्रवाहित होता रहता है।
यूरोपा, जो बृहस्पति का एक अन्य प्रमुख उपग्रह है, उसकी सतह पर बर्फ की परत है। वैज्ञानिकों का मानना है कि इसके नीचे पानी का एक महासागर हो सकता है, जो जीवन के लिए उपयुक्त हो सकता है। यूरोपा के वायुमंडल में पानी के बर्फ के टुकड़े और कुछ तरल जल के संकेत पाए गए हैं, जो इसे भविष्य में जीवन के लिए एक संभावित स्थल बना सकते हैं।
आशा है, उपरोक्त जानकारी उपयोगी एवं महत्वपूर्ण होगी।
(I hope, the above information will be useful and important.)
Thank you.
R.F. Tembhre
(Teacher)
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