धूमकेतु (पुच्छल तारे) वे आकाशीय पिण्ड होते हैं, जो सूर्य के चारों ओर परवलयाकार पथ पर अनियमित परिक्रमा करते हैं। ये पिण्ड मुख्य रूप से धूल, बर्फ और गैस से बने होते हैं। परिक्रमा करते हुए जब कोई धूमकेतु सूर्य के निकट पहुँच जाता है, तो वह गर्म होने लगता है और पिघलने लगता है। फलस्वरुप उस आकाशीय धूमकेतु से गैसें फुहार के रूप में बाहर निकलने लगती हैं। इससे पूँछ जैसी संरचना का निर्माण हो जाता है, इसलिए धूमकेतु को 'पुच्छल तारा' भी कहा जाता है। पुच्छल तारे की पूँछ सदैव सूर्य के विपरीत दिशा में रहती है।
भूगोल के इन 👇 प्रकरणों को भी पढ़ें।
निहारिका (आकाशगंगा) किसे कहते हैं? | हमारी निहारिका 'मन्दाकिनी'
'हैली' हमारे सूर्य के चारों ओर परिक्रमा करने वाला एक महत्वपूर्ण पुच्छल तारा है। यह पृथ्वी से प्रत्येक 76 वर्ष में एक बार दिखाई देता है। यह पृथ्वी के निकट से गुजरने वाले किसी भी धूमकेतु (पुच्छल तारे) के लिये सबसे कम अवधि है।
भूगोल के इन 👇 प्रकरणों को भी पढ़ें।
ग्रह क्या है? | पार्थिव ग्रह और जोवियन ग्रह
धूमकेतु (पुच्छल तारे) के मुख्य रूप से तीन भाग होते हैं–
1. नाभि– यह धूमकेतु का मुख्य स्थायी भाग होता है। यह धूल, बर्फ एवं अन्य ठोस पदार्थों से मिलकर बना होता है।
2. कोमा– धूमकेतु के शीर्ष भाग को कोमा कहा जाता है। इससे जल, कार्बन डाइऑक्साइड व अन्य गैसें घने बादलों के रूप में उत्सर्जित होती रहती हैं।
3. पूँछ– धूमकेतु के पीछे के हिस्से को पूँछ कहा जाता है। ये फुहारे के रूप में गैसों के अवशेष होते हैं।
भूगोल के इन 👇 प्रकरणों को भी पढ़ें।
1. भारत के राज्य एवं उनकी राजधानियाँ | भारतीय राज्यों से सम्बन्धित जानकारियों का विवरण
2. भारत के केन्द्र शासित प्रदेश एवं उनकी राजधानियाँ | केन्द्र शासित प्रदेशों से सम्बन्धित जानकारियाँ
3. भारतीय पर्वतीय प्रदेश– ट्रांस (परा) हिमालय
4. वृहद् (महान) हिमालय की भौगोलिक संरचना एवं सर्वाधिक ऊँची पर्वत चोटियाँ
5. लघु (मध्य) हिमालय की भौगोलिक विशेषताएँ एवं पर्वत श्रेणियाँ
आशा है, उपरोक्त जानकारी उपयोगी एवं महत्वपूर्ण होगी।
(I hope, the above information will be useful and important.)
Thank you.
R.F. Tembhre
(Teacher)
EduFavour.Com
Recent Posts
Categories
Subcribe
Copyright © 2025 - All Rights Reserved - Edu Favour