mahajanapadas_and_their_capitals_of_ancient_india_
प्राचीन भारत के 16 महाजनपद निम्नलिखित थे–
1. काशी
2. कोशल
3. वत्स
4. अवन्ति
5. अंग
6. मगध
7. वज्जि
8. मल्ल
9. चेदि
10. कुरू
11. पांचाल
12. मत्स्य
13. शूरसेन
14. अश्मक
15. गान्धार
16. कम्बोज।
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काशी की राजधानी वाराणसी थी। 'सोननन्द जातक' के विवरण के अनुसार मगध, कोशल और अंग महाजनपद काशी के अधीन थे। काशी का सबसे शक्तिशाली शासक ब्रह्मदत्त था। इसने कोशल महाजनपद पर विजय प्राप्त की थी।
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कोशल भारत के चार शक्तिशाली महाजनपदों में से एक था। इसकी राजधानी श्रावस्ती थी। श्रावस्ती वर्तमान उत्तर प्रदेश के फैज़ाबाद मण्डल में स्थित है। रामायणकाल में कोशल की राजधानी अयोध्या थी। यह महाजनपद उत्तर में नेपाल से लेकर दक्षिण में सई नदी तथा पश्चिम में पांचाल से लेकर पूर्व में गण्डक नदी तक विस्तृत था।
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वत्स भारत के चार शक्तिशाली महाजनपदों में से एक था। इसकी राजधानी कौशाम्बी थी। कौशाम्बी नगर वर्तमान इलाहाबाद और बान्दा क्षेत्र में विस्तृत था। महात्मा बुद्ध के समय वत्स महाजनपद पर पौरव वंश के शासकों का शासन था। पुराणों के विवरण के अनुसार इस वंश के शासक परंतप ने अंग की राजधानी चम्पा पर विजय प्राप्त की थी।
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अवन्ति भारत के चार शक्तिशाली महाजनपदों में से एक था। उत्तरी अवन्ति की राजधानी उज्जयिनी और दक्षिणी अवन्ति की राजधानी महिष्मति थी। उज्जयिनी प्राचीन भारत का अत्यन्त महत्वपूर्ण नगर था। यह राजनीतिक और आर्थिक दोनों ही क्षेत्रों में विकास कर चुका था। इस नगर में लोहे की खाने थीं। लुहार इस्पात के अस्त्र शस्त्र बनाए जाते थे, इसलिए अवन्ति महाजनपद सैनिक दृष्टि से अत्यंत सफल हो गया था।
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अंग महाजनपद की राजधानी चम्पा थी। यह नगरी अपने वैभव और व्यापार-वाणिज्य के लिए प्रसिद्ध थी। चम्पा नगरी वर्तमान भागलपुर और मुंगेर क्षेत्र में विस्तृत थी। 'महापरिनिर्वाण सुत्त' के विवरण के अनुसार, चम्पा प्राचीन भारत के छः महानगरों में से एक महानगर था। इसके अतिरिक्त अन्य पाँच महानगर राजगृह, श्रावस्ती, साकेत, कौशाम्बी और बनारस थे।
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मगध भारत के चार शक्तिशाली महाजनपदों में से एक था। यह उत्तर भारत का सबसे शक्तिशाली महाजनपद था, जो बाद में एक साम्राज्य के रूप में विकसित हुआ। इसकी राजधानी राजगृह (गिरिब्रज) थी। यह नगर वर्तमान दक्षिणी बिहार में स्थित था। आगे चलकर मगध की राजधानी परिवर्तित कर दी गई और पाटलिपुत्र (पटना) कर दी गई।
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वज्जि एक संघ था, जिसके अन्तर्गत आठ राज्य आते थे। इसकी राजधानी वैशाली थी। यह नगर वर्तमान उत्तरी बिहार में स्थित था। वज्जि संघ के अन्तर्गत वज्जि के अलावा वैशाली के लिच्छवि, मिथिला की विदेह और कुण्डग्राम के ज्ञातृक सम्मिलित थे। महात्मा बुद्ध के समय यह सबसे शक्तिशाली संघ था।
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वज्जि के समान मल्ल भी एक संघ था। इसके अन्तर्गत दो शाखाएँ सम्मिलित थीं– पावा के मल्ल और कुशीनारा के मल्ल। कुशीनगर और पावा दोनों ही नगर वर्तमान पूर्वी उत्तर प्रदेश के गोरखपुर-देवरिया क्षेत्र में स्थित थे। 'कुस जातक' के विवरण के अनुसार मल्ल महाजनपद का प्रसिद्ध राजा ओक्काक था।
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चेदि (चेति) महाजनपद की राजधानी 'सुक्तिमति' (सोत्थिवती) थी। सुक्तिमति नगर वर्तमान बुन्देलखण्ड में विस्तृत था। महाभारत काल में चेदि महाजनपद का प्रसिद्ध राजा शिशुपाल था। इसका वध भगवान श्री कृष्ण द्वारा किया गया था। 'चेतिय जातक' के विवरण के अनुसार यहाँ का एक अन्य राजा उपचर था।
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कुरू महाजनपद की राजधानी 'इन्द्रप्रस्थ' थी। महात्मा बुद्ध के समय इस महाजनपद का प्रसिद्ध राजा कोरव्य था। इन्द्रप्रस्थ नगर वर्तमान मेरठ और दक्षिण-पूर्व हरियाणा में विस्तृत था।
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पांचाल महाजनपद के दो भाग थे– उत्तरी पांचाल और दक्षिणी पांचाल। उत्तरी पांचाल की राजधानी अहिच्छत्र और दक्षिणी पांचाल की राजधानी काम्पिल्य थी। अहिच्छत्र वर्तमान रामनगर (बरेली) तथा काम्पिल्य वर्तमान फरूर्खाबाद क्षेत्र में विस्तृत था।
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मत्स्य (मच्छ) महाजनपद की राजधानी विराटनगर थी। इसकी स्थापना विराट नामक राजा ने की थी। विराटनगर वर्तमान राजस्थान के भरतपुर के अलवर में विस्तृत था।
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शूरसेन महाजनपद की राजधानी मथुरा थी। यह मथुरा नगर वर्तमान ब्रजमण्डल क्षेत्र में विस्तृत था। प्राचीन यूनानी लेखक शूरसेन महाजनपद को शूरसेनोई व इसकी राजधानी को मेथोरा कहते थे। महात्मा बुद्ध के समय शूरसेन महाजनपद का प्रसिद्ध राजा अवन्तिपुत्र था। वह महात्मा बुद्ध का शिष्य था।
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यह दक्षिण भारत का एकमात्र महाजनपद था। इसकी राजधानी पोतन (पोटली) थी। पुराणों की विवरण के अनुसार अश्मक महाजनपद की स्थापना इक्ष्वाकु वंश के शासकों ने की थी।
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गान्धार महाजनपद की राजधानी तक्षशिला थी। यह नगर प्राचीन भारत का महत्वपूर्ण नगर था। यह व्यापारिक नगर होने के अलावा शिक्षा का प्रमुख केन्द्र भी था। तक्षशिला नगर वर्तमान पाकिस्तान के पेशावर और रावलपिण्डी क्षेत्र में विस्तृत था।
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सिन्धु सभ्यता के स्थल– हड़प्पा, मोहनजोदड़ो, चन्हूदड़ो, लोथल
कम्बोज की राजधानी राजपुर अथवा हाटक थी। यह महाजनपद गान्धार महाजनपद का पड़ोसी था। प्राचीन काल में कम्बोज अपने श्रेष्ठ घोड़ों के लिए प्रसिद्ध था। राजपुर व हाटक वर्तमान कश्मीर में विस्तृत थे।
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1. प्राचीन काल में भारत आने वाले चीनी यात्री– फाहियान, ह्वेनसांग, इत्सिंग
2. सिंधु घाटी सभ्यता– परिचय, खोज, नामकरण, काल निर्धारण एवं भौगोलिक विस्तार
3. सिन्धु (हड़प्पा) सभ्यता की नगर योजना और नगरों की विशेषताएँ
4. प्राचीन भारत के राजाओं के जीवन पर लिखी गई पुस्तकें
5. प्राचीन भारत के बारे में यूनान और रोम के लेखकों ने क्या लिखा?
आशा है, उपरोक्त जानकारी उपयोगी एवं महत्वपूर्ण होगी।
(I hope, the above information will be useful and important.)
Thank you.
R.F. Tembhre
(Teacher)
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