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भाव-विस्तार (भाव-पल्लवन) क्या है और कैसे किया जाता है? || Bhav-vistar ya bhav-pallavan kaise kare

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भाव विस्तार (भाव-पल्लवन) क्या है?

जब किसी वाक्य का भाव हम सरल शब्दों में प्रकट करते हैं तब उसे भाव-विस्तार कहते हैं। भाव-विस्तार के वाक्य सामासिक हो तो उनका अर्थ-विस्तार करने से लेखक का आशय स्पष्टतः समझ में आ जाता है। ये वाक्य भाव, विचार और कल्पना से संयुक्त होने के कारण मन को प्रफुल्लित करते हैं। वाक्य बार-बार पढ़ने को जी चाहता है। कविता, निबंध और नाटक आदि के अंश और संवाद इसी प्रकार कल्पना और भावों से संयुक्त होने के कारण भाव विस्तार की अपेक्षा रखते हैं।

भाव-विस्तार को समझने के लिए डॉ रघुवीर सिंह लिखित गद्य काव्य - 'यशोधरा' के वाक्यों को पढ़ें–
"स्नेह-दीप से जगमगाते नवल नयनों की द्युति क्षीण होने लगी और उसकी ये अधखुली आँखे अब ऋतुराज की ओर भी नहीं देखती थीं।"

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उक्त वाक्यों का भाव-विस्तार नीचे दिया गया है–
यशोधरा के प्रेंम के दीपक रूपी नेत्रों की ज्योति मानो मद्धिम पड़ गई है और इसी कारण, ये नेत्र जो अधखुले हैं, ऋतुराज वसंत की शोभा को भी नहीं देखना चाहते। लेखक ने अपनी काव्य कल्पना से नेत्रों को स्नेह का दीपक बताया है। ये नेत्र विरह के कारण चिंतामग्न हैं। इसी कारण ये नयन प्रकृति के श्रृंगार श्रेष्ठ ऋतुराज वसन्त के अनिंद्य सौन्दर्य को भी नहीं देखना चाहते नयनों में तो कोई और ही बसा है, वे किसी और के ध्यान में हैं।

भाव-विस्तार क्यों और कैसे?

भाव-विस्तार या भाव-पल्लवन किसी भी सूक्ति, वाक्य या गद्यांश को समझने में सहायक है। यह परीक्षार्थियों की प्रतिभा और अभ्यास पर निर्भर करता है कि वे किसी गद्यांश या वाक्य का भाव-विस्तार कितना सुरुचिपूर्ण और सटीक लिखते हैं। भाव-विस्तार में निपुणता अभ्यास पर निर्भर है।

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भाव विस्तार हेतु महत्वपूर्ण ट्रिक्स

1. भाव-विस्तार मूल प्रसंग से हटकर न हो।
2. इसमें अप्रासंगिक विचार न आए।
3. भाव-विचार सुसंगठित और क्रम से हो ।
4. भाषा सरल व सुगम हो।
5. भाव-विस्तार में अनावश्यक टिप्पणी या समीक्षा न हो।

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5. वाक्य रचना में पद क्रम संबंधित नियम
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आशा है, उपरोक्त जानकारी आपके लिए उपयोगी होगी।
धन्यवाद।
R F Temre
rfcompetition.com

आशा है, उपरोक्त जानकारी उपयोगी एवं महत्वपूर्ण होगी।
(I hope, the above information will be useful and important.)
Thank you.
R.F. Tembhre
(Teacher)
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